क्रांतिसूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय

Krantisurya Tantya Bhil University

Khargone - 451001, Madhya Pradesh

Vice Chancellor Message

कुलगुरु का संदेश
क्रांतिसूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय, खरगोन (मध्यप्रदेश)

प्रो. मोहन लाल कोरी
कुलपति

मध्यप्रदेश के विशेष जनजातीय क्षेत्रों के तीव्र विकास और प्रगति हेतु, तकनीकी, कौशल-आधारित, व्यावसायिक, प्रबंधन, पर्यटन, जनजातीय कला, संस्कृति, पारंपरिक मूल्य प्रणाली, एवं अन्य संबंधित क्षेत्रों में विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से तथा जनजातीय जीवन से जुड़ी कला, परंपरा, भाषा, चिकित्सा पद्धतियाँ, वन आधारित आजीविका, और प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित अनुसंधान और संरचना के विकास हेतु, मुझे मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रथम कुलगुरु के रूप में नियुक्त किया गया है। मैं इसके लिए महामहिम राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

देश के अमृत काल में निमाड़ क्षेत्र में स्थापित हो रहा यह नया विश्वविद्यालय — क्रांतिसूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय (KTBU) — खरगोन, मध्यप्रदेश में स्थित है। हम इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, तथा अलीराजपुर जिलों में Gross Enrolment Ratio बढ़ाने के लिए वचनबद्ध हैं।

मैं इस अवसर पर माननीय यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का भी हृदय से धन्यवाद करता हूँ, जिनका यह विश्वविद्यालय एक स्वप्न परियोजना है। साथ ही, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदरसिंह परमार जी के प्रति भी आभार प्रकट करता हूँ, जिन्होंने मुझ पर यह महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व सौंपा।

मैं इस नवगठित विश्वविद्यालय को एक आदर्श और उत्कृष्ट संस्थान के रूप में स्थापित करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हूँ। यह विश्वविद्यालय नर्मदा नदी के तट पर स्थित एक प्राकृतिक सौंदर्य, सामाजिक, और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र में अवस्थित है, जहाँ शिक्षा सुधारों के क्रियान्वयन की अत्यधिक संभावनाएँ हैं।

मेरी प्रथम प्राथमिकताएँ हैं:

  • स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की शीघ्र शुरुआत।
  • समर्पित एवं योग्य शिक्षकों की नियुक्ति।
  • शोध और शिक्षण के लिए उच्च स्तरीय शैक्षणिक वातावरण की स्थापना।
  • और इसके लिए आवश्यक भौतिक संरचना का निर्माण।

मैं उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और उत्कृष्टता हेतु सतत रूप से प्रयासरत रहूँगा तथा विश्वविद्यालय के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कृतसंकल्पित रहूँगा।

मैं देश-विदेश के विद्वानों एवं शिक्षाविदों से आह्वान करता हूँ कि वे इस विश्वविद्यालय के विकास में सहभागी बनें और जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन हेतु सहयोग करें, ताकि हम इस विश्वविद्यालय को क्रांतिसूर्य टंट्या भील जी के नाम के अनुरूप एक आदर्श और प्रेरणास्पद संस्थान के रूप में विकसित कर सकें।

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Last Updated
14-10-2025